नाबालिग बच्चों को लेकर दिए गए आंकड़े बेहद चौंकाने और परेशान करने वाले हैं. आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से नाबालिगों ने दर्द दूर करने वाली दवाईयों को ही नशे (Intoxication) की खुराक बना लिया है. वैसे तो नशा करने के मामले में बड़े भी कम नहीं हैं. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 15 करोड़ बालिग लोग सिर्फ अल्कोहल (Alcohol) के शौकीन हैं.
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यह है देश में नशा करने वाले बच्चों और बड़ों का आंकड़ा.
बच्चों के मामले में डराता है यह आंकड़ा
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि देश में 10 से 17 साल की उम्र के 40 लाख बच्चे ओपियाड का नशा करते हैं. जानकारों की मानें तो ओपियाड के तहत वो नशा आता है जिसे आमतौर पर इंसान दर्द दूर करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर लेता है. जैसे दर्द दूर करने वाली टेबलेट, दर्द और नींद में राहत देने वाले इंजेक्शन आदि. लेकिन नशा करने वाले इसकी लत लगा लेते हैं. अपने हाथ से ही शरीर में इंजेक्शन लगाने लगते हैं. इस तरह का नशा बच्चों के दिमाग और उनके शरीर की नसों पर असर डालता है.
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इनहेलेंट और अल्कोहल के मामले में बच्चों का आंकड़ा 30-30 लाख है. इनहेलेंट के रूप में बच्चे व्हाइटनर, थिनर और जूता बनाने के काम में आने वाले एक सॉल्यूशन को कप़ड़े में रखकर सूंघते हैं. 18 साल से बड़े भी इस नशे को कर रहे हैं. मंत्रालय का आंकड़ा बताता है कि बालिग कहे जाने वाले 60 लाख लोग इस तरह का नशा कर रहे हैं. बड़ों में अल्कोहल के बाद इसी का दूसरा नंबर है. वहीं 30 लाख बच्चे शराब और टिंचर-जिंजर की शक्ल में अल्कोहल ले रहे हैं.