श्रम और रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान पैदल यात्रा करने वालों सहित 1.06 करोड़ से अधिक प्रवासी कामगार अपने गृह राज्यों में लौट गए. अनंतिम उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मार्च-जून 2020 की अवधि के दौरान सड़कों पर (राष्ट्रीय राजमार्गों सहित) 81,385 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 29,415 लोगों की जान चली गई. हालांकि, मंत्रालय की ओर से कहा गया कि मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान सड़क दुर्घटना में मारे गए प्रवासी श्रमिकों के संबंध में अलग-अलग डेटा नहीं तैयार किया है.
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राज्यों ने मुहैया कराई थी मददसिंह ने बताया कि गृह मंत्रालय ने राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को नियमित सलाह जारी की थी कि वे प्रवासी श्रमिकों को भोजन, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं और उचित परामर्श प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करें. मंत्री ने कहा, “मंत्रालय ने देश भर के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर पैदल चलने वाले प्रवासी मजदूरों को भोजन, पीने का पानी, बुनियादी दवाइयां और फुट वियर इत्यादि मुहैया कराने में मदद की थी.”
बसों और ट्रेनों की आवाजाही की दी गई अनुमति
उन्होंने कहा कि उन्हें आराम करने के लिए विश्राम स्थलों के साथ स्थानीय परिवहन की मदद से परिवहन की व्यवस्था के संदर्भ में सहायता प्रदान की गई थी और उन्हें अपने गंतव्य स्थानों के निकटतम स्थानों पर ले जाने के लिए सहायता प्रदान की गई थी. उन्होंने कहा कि 29 अप्रैल, 2020 और 1 मई, 2020 को गृह मंत्रालय के आदेशों के बाद प्रवासी श्रमिकों को अपने मूल स्थानों पर बसों और श्रमिक विशेष ट्रेनों से आवाजाही की अनुमति दी.