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रिम्स में मरीजों को अब पांच वक्त का भोजन

रिम्स में अब मरीजों को तीन वक्त की जगह पांच वक्त का भोजन दिया जाएगा। इसमें सुबह की चाय, नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम को स्नैक्स और रात्रि का भोजन शामिल है। अभी तक मरीजों को सुबह की चाय और शाम को स्नैक्स नहीं मिलता था। प्रबंधन ने इसके लिए नई एजेंसी का चयन कर इसकी जिम्मेदारी जाना इंटरप्राइजेज को सौंप दी है। रिम्स उपाधीक्षक डा. संजय कुमार ने बताया कि जाना इंटरप्राइजेज का चयन टेंडर के माध्यम हुआ। कंपनी द्वारा सबसे अधिक स्कोर किया गया और प्राइस बिड भी सबसे कम रही। पुरानी एजेंसी की पुरानी दर को बदलते हुए नई एजेंसी द्वारा नई दर पर मरीजों को भोजन देने का फैसला किया गया है। नई कंपनी 129 रुपए में प्रति मरीज को भोजन देगी। अभी तक यह दर 100 रुपए थी, जिसमें तीन वक्त का भोजन कराया जाता था।

13 एजेंसियों ने भरा था आवेदन :

रिम्स कैंटीन की कमान लेने के लिए 13 एजेंसियों ने आवेदन दिया था। इसमें से नौ का टेंडर सही पाया गया, जिनमें से सबसे कम प्राइस बताने वाले जाना इंटरप्राइजेज का चयन हुआ। डा. संजय कुमार ने बताया कि इसकी दौड़ में पुरानी एजेंसी प्राइम सर्विसेस परिवार के अन्य सदस्य द्वारा लाइफलाइन सर्विसेस के नाम से आवेदन भेजा गया था जो निर्धारित समय के बाद पहुंचने के कारण अस्वीकृत कर दिया गया। इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू हुई और टेंडर जाना इंटरप्राइजेज को दिया जा रहा है।

पिछली बार टेंडर रद होने से, दो वर्षो से मिल रहा है एक्सटेंशन :

पिछली एजेंसी प्राइम सर्विसेस द्वारा सात जून 2017 को रिम्स कैंटीन का काम दिया गया था। इस कंपनी का कार्यकाल छह जून 2019 को ही समाप्त हो गया। उसी बीच टेंडर रद होने की वजह से अभी तक एक्सटेंशन दिया गया। उपाधीक्षक ने बताया कि अब जब टेंडर फाइनल हो रहा है तो उस कंपनी की बेचैनी बढ़ गई है। पुरानी एजेंसी प्राइम सर्विसेस के मालिक की पत्नी के नाम दूसरी एजेंसी है जिसे वे इस बार टेंडर दिलवाना चाह रहे थे, लेकिन समय पर उनका आवेदन नहीं पहुंचा। पिछली बार भी टेंडर निकालने के बाद उसी कंपनी ने टेंडर भरा था, जिसे नियमों का हवाला देते हुए रद कर दिया गया था। उस समय बताया गया था कि एक ही परिवार के सदस्य टेंडर नहीं भर सकते। उन्होंने बताया इस एजेंसी द्वारा मरीजों को दिए जानेवाले भोजन में कई बार अनियमितताएं भी देखी गई है। जिसकी शिकायतें भी मरीजों ने की थी।

पुरानी एजेंसी ने लगाए आरोप, दूसरी एजेंसी ने पहले ही लिया है न्यायालय का सहारा :

नई एजेंसी के चयन को लेकर मंगलवार को दिनभर हो-हंगामा होता रहा। पुरानी एजेंसी प्राइम सर्विसेस और लाइफलाइन सर्विसेस ने आरोप लगाया कि बिना जेम्स से चयन प्रक्रिया कर ई-टेंडर का प्रयोग किया गया जो गलत है। दूसरी ओर एजेंसी ओम इंटरप्राइज ने भी हाईकोर्ट में इस टेंडर का विरोध किया है। डा. संजय ने बताया कि हाईकोर्ट से कोई स्टे नहीं लगाया गया है, जिसके बाद नियमानुसार नई कंपनी का चयन हुआ। सभी टेंडर भरने की इच्छुक एजेंसियों से आपत्ति भी पूछी गई और नए तरीके से अंतिम बार अक्तूबर 2020 को टेंडर ऑनलाइन फ्लोट कराया गया। इससे पहले यह टेंडर सितंबर 2020 को निकाला गया था। दूसरी ओर ई-टेंडर के बारे में बताया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से सही है। आज भी न्यायालयों के टेंडर ई-टेंडर के माध्यम से किया जाता है। जेम्स भी एक प्रावधान है, जैसे-जैसे जेम्स से खरीदारी का दायरा बढ़ेगा वैसे ही धीरे-धीरे पुरानी चीजें बंद होती जाएगी। जाना एजेंसी कोलकाता की कंपनी है।

मरीजों को कब और क्या मिलेगा भोजन में :

1 सुबह : चाय व बिस्किट

2 सुबह : कुछ देर बार नाश्ता

3 दोपहर : भोजन, वेज व नन वेज दोनों का है प्रविधान

4 शाम : स्नैक्स में पोहा, हलवा, दलिया, सूप आदि

5 रात : भोजन व डायट के अनुसार दूध।

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