ऐसा है बेनीपुर विधानसभा सीट का हाल
2010 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुआ था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के गोपाल जी ठाकुर ने आरजेडी के कृष्णा यादव को पटखनी दी थी. यानी वह बेनीपुर के पहले विधायक कहलाते हैं. जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी और जेडीयू गठबंधन हो गया और इस सीट पर जेडीयू के सुनील चौधरी ने गोपाल जी ठाकुर को दूसरी बार विधायक बनने से रोक दिया. वैसे आपको बता दें कि पिछले चुनाव में आरजेडी और जेडीयू गठबंधन ने दरभंगा की 10 विधानसभा सीटों में 8 पर बाजी मारी थी और केवल दो सीट ही बीजेपी के खाते में गईं थी. हालांकि इस सीट पर बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक मैथिल ब्राह्मण हैं, जिनकी संख्या करीब 59,000 हैं. वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी राम विनोद झा उर्फ कमल सेठ ने 16,500 वोट लाकर बीजेपी के प्रत्याशी गोपालजी ठाकुर को हराने में मुख्य भूमिका अदा की थी.
बहरहाल, इस सीट पर आरजेडी के दिग्गज नेता अब्दुल बारी सिद्दकी का दबदबा देखने को मिलता है और पिछले चुनाव में भाजपा को जीतने से रोकने वाले निर्दलीय प्रत्याशी राम विनोद झा उर्फ कमल सेठ उनके बेहद करीबी माने जाते हैं. इसी वजह से वह इस बार के चुनाव में खुद को आरजेडी प्रत्याशी बता रहे हैं. यही नहीं, कमल सेठ मुंबई में सिक्योरिटी एजेंसी चलाते हैं और इस एजेंसी में उन्होंने हजारों मिथिला के बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने का काम किया है. यही बात उनके लिए इस बार चुनाव में मददगार साबित हो सकती है.
बेनीपुर विधानसभा के ये हैं अहम मुद्दे
बेनीपुर विधानसभा को ब्राह्मण बाहुल्य माना जाता है औ वर्तमान जेडीयू विधायक सुनील चौधरी भी ब्राह्मण कोटे से आते हैं, लेकिन इस क्षेत्र की सबसे बड़ी परेशानी रोजगार, सड़क और कानून व्यवस्था है. वैसे यहां से सुप्रसिद्ध जनकवि बैद्यनाथ मिश्र यात्री “नागार्जुन” भी ताल्लुक रखते हैं, जिनका गांव बेनीपुर प्रखंड अंतर्गत तरौनी है.