बिहार में इस साल चार एक्सप्रेस-वे बनने शुरू होंगे। सबसे पहले गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे बनना शुरू होगा। इसके बाद वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे, रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे और पटना-आरा-सासाराम एक्सप्रेस-वे बनना शुरू होगा। इन चारों एक्सप्रेस-वे का डीपीआर बन चुका है। इनके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। केंद्र सरकार से डीपीआर की मंजूरी आते ही निर्माण एजेंसी द्वारा काम शुरू कर दिया जाएगा। इन चारों एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 1900 किलोमीटर होगी।
इनके निर्माण पर 68 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इनमें से तीन एक्सप्रेस-वे कम से कम सिक्स लेन की होगी। भारतमाला फेज-दो के तहत इनका निर्माण कराया जा रहा है। विभागीय अधिकारी ने बताया कि गोरखपुर-सिलीगुड़ी ग्रीनफील्ड सिक्स लेन एक्सप्रेस-वे का निर्माण गोरखपुर बाइपास से सिलीगुड़ी तक होगा।
एक्सप्रेस-वे का 84 किलोमीटर हिस्सा उत्तर प्रदेश में होगा। जबकि बिहार में इसका 416 किलोमीटर और पश्चिम बंगाल में 18 किलोमीटर हिस्सा होगा। यह एक्सप्रेस-वे बिहार में पडरौना, बेतिया, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज होकर गुजरेगा।
वाराणसी से कोलकाता तक 686 किमी. बनेगी 6 लेन सड़क वाराणसी से कोलकाता तक छह लेन एक्सप्रेस-वे बनेगा। इसके निर्माण पर 19 हजार करोड़ खर्च होंगे। यह ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे होगा। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के चंदौली से होगी और बिहार-झारखंड होते हुए यह कोलकाता तक जाएगा। एक्सप्रेस-वे बिहार में कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया से गुजरेगा। इसका निर्माण कार्य अप्रैल में भी शुरू हो सकता है।

रक्सौल-हल्दिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे
नेपाल सीमा पर रक्सौल से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक 20 हजार करोड़ से 680 किलोमीटर लंबी 6 लेन सड़क बननी है। यह बिहार में रक्सौल, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, हाजीपुर और बांका से गुजरेगा। जबकि पटना-आरा-सासाराम ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे गोरखपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के खत्म होने के बाद शुरू होगा। वहां से पटना के लिए नया फोरलेन एक्सप्रेस-वे बनेगा। इसकी लंबाई 110 किलोमीटर होगी। यह बक्सर-आरा से होकर पटना तक आएगा।
इस एक्सप्रेस-वे को आरा रिंग रोड से जोड़ने के लिए 381 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। रिंग रोड से जोड़ने के लिए 12 किलोमीटर लंबी कनेक्टिविटी भी बनानी पड़ेगी।