जमीन के सर्वे के बाद चकबंदी की तकनीकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। माडल के तौर पर शेखपुरा जिला के घाट कुसुंबा प्रखंड का चयन किया गया है। इस प्रखंड में सर्वे लगभग पूरा हो गया है। दस्तावेजों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के पीआरओ राजेश कुमार सिंह ने मंगलवार को बताया कि चकबंदी विभाग की प्राथमिकता सूची में है। कोशिश यह हो रही है कि चकबंदी विवाद रहित हो। प्लाट की मापी के लिए रोबोट का सहारा लिया जा रहा है। ईटीएस और टेप के जरिए की गई जमीन की मापी एवं रोबोट की मदद से की गई मापी में 10 सेमी का अंतर पाया गया है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने आइआइटी रुड़की के प्रो. कमल जैन की टीम की मदद से एक साफ्टवेयर विकसित किया है। नाम है : चक बिहार। इसकी मदद से जमीन की मापी और नक्शा के निर्माण में न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप होगा। उन्होंने बताया कि कमल जैन की टीम ने सोमवार को घाट कुसुंबा के उन गांवों का मुआयना किया, जहां सर्वे पूरा हो चुका है। बाद में टीम के सदस्यों ने शेखपुरा समाहरणालय में चकबंदी की आधुनिक विधि का प्रेजेंटेशन भी दिया। इसमें निदेशक भू-अभिलेख जय सिंह के अलावा विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।
शेखपुरा समाहरणालय में एक बेस स्टेशन
चकबंदी के लिए शेखपुरा समाहरणालय में एक बेस स्टेशन बनाया गया है। इसके जरिए दूरदराज के गांवों में किए गए सर्वे का तकनीकी ब्योरा हासिल किया जा सकता है। प्लाट की मापी की शुद्धता के लिए रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है। ईटीएस और टेप के जरिए की गई जमीन की मापी एवं रोबोट की मदद से की गई मापी में 10 सेमी का मामूली अंतर पाया गया। आइआइटी के प्रो. कमल जैन ने बताया कि आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से दाखिल-खारिज का नक्शा तैयार करने में भी मदद मिलेगी।