बिहार ने इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। सड़क और पुल निर्माण में देश भर में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। सड़क एवं पुल पर बिहार का सार्वजनिक निवेश डेढ़ दशक में 15 गुना बढ़ गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 6575 करोड़ रुपए निवेश पहुंच गया है। इससे फायदा हुआ कि प्रति एक हजार वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्रफल पर 3086 किलोमीटर सड़क घनत्व के साथ पूरे देश में बिहार में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
केरल पहले और पश्चिम बंगाल दूसरे नंबर पर है। जबकि राष्ट्रीय औसत प्रति 1 हजार वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्रफल पर 1617 किलोमीटर है। 2015 से 2021 के बीच सूबे में 28 हजार करोड़ रुपए खर्च करके 45 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनी हैं। इसके सड़कों की लंबाई 2015 के 57388 किलोमीटर से बढ़कर 2021 में एक लाख 2306 किलोमीटर हो गया है। यानी 78 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सड़कों के मेंटेनेंस पॉलिसी बनी है। भवन निर्माण के क्षेत्र में योजना बजट में सर्वाधिक बढ़ोतरी दर्ज हुई है। साल 2008-9 में सिर्फ 12.07 करोड़ से बढ़कर अब वर्ष वित्तीय वर्ष 2020-21 में 4543 करोड़ रुपए हो गया है।
सूबे में 70 प्रतिशत राज्य उच्च पथ दो लेन में बदले गए हैं। पिछले डेढ़ दशक में यह हुआ है। फिलहाल 39.2 प्रतिशत मुख्य जिला पथ एक लेन वाले हैं। सात निश्चय-2 के सुलभ संपर्कता कार्यक्रम के तहत इन पथों की चौड़ाई बढ़ाई जाएगी। जबकि राष्ट्रीय उच्च पथ के विकास की बात है, उसके अनुसार 2005-06 में इस पर 79 करोड़ रुपए खर्च हुआ था। वित्तीय वर्ष 2021-21 में यह बढ़ा और 1930 करोड़ रुपए हो गया। वैसे राष्ट्रीय उच्च पथों के रख-रखाव में वृद्धि बहुत ही मामूली है। साल 2005-06 में यह 40 करोड़ रुपए था, जो बढ़कर वित्तीय वर्ष 2020-21 में 92 करोड़ रुपए हो गया। यह देश के कुल व्यय का 3 प्रतिशत कम था।
बिहार में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। 2015 के 1.7 करोड़ से बढ़कर 5.5 करोड़ इंटरनेट यूजर की संख्या हो गई। सूबे के 90 प्रतिशत से अधिक ब्लॉक प्रखंड ब्रॉडबैंड से जुड़े हैं। अब सूबे में पंचायत स्तर पर वाई-फाई जोन बनाए जा रहे हैं। फिलहाल पांच जिलों में इसके तहत वाई-फाई लगाने काम हो रहा है।