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बिहार क सभी 8463 पैक्सों को किया जाएगा कम्पूटराइज़्ड , बड़ी संख्या में युवाओं को मिलेगा रोजगार

देशभर के संस्थानों को आधुनिक तौर पर विकसित करने की तयारी चल रही है। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाला पैक्स यानी प्राथमिक कृषि सहकारिता समितियों को भी आधुनिक विकसित करने के लिए कम्पूटराइज़्ड करने की तयारी चल रही है। बिहार क सभी 8463 पैक्सों को कम्पूटराइज़्ड करने के लिए केंद्र व् राज्य सरकार दोनों इसमें अपना योगदान करेगी। बता दे कि इसे विकसित करने के लिए केंद्र की और से 70 प्रतिशत राशि खर्च करेगी तो वहीँ राज्य सरकार इसमें 30 प्रतिशत अपना योगदान देगी।

अधिकारियों का कहना है कि जिन पैक्सों में कंप्यूटराइजेशन प्रस्तावित किया जाए, उसका पहले आडिट जरूर करा लिया जाए। इसके लिए सभी जिलों में पैक्सों के आडिट के लिए अभियान चलाया जाएगा। कंप्यूटराइजेशन के लिए पैक्स के प्रस्ताव तैयार करने और उसके लिए साफ्टवेयर के प्रविधानों पर अगले माह से काम आरंभ होगा, जबकि परियोजना को लागू करने और उनकी निगरानी करने के लिए जिला स्तर तक समितियां असल फैसला लेंगी।

बता दें कि अब पैक्सों से केवल किसान ही नहीं, बल्कि आम लोगों को भी जोड़ने का कार्य होगा। पैक्सों के तहत बीज व खाद वितरण, कोल्ड स्टोरेज, भंडारण गृह, लाकर, राशन दुकानों का संचालन, कामन सर्विस सेंटर, दुग्ध एवं शहद उत्पादन, मत्स्य पालन, नल से जल, सिंचाई व्यवस्था और गोबर गैस जैसे कार्य भी होंगे। सहकारी समितियों (पैक्स) की सक्रियता से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां रोजी-रोजगार बढ़ेगा, वहीं किसानों को स्थानीय स्तर पर बीज, उर्वरक व कीटनाशक उपलब्ध होने लगेगा। उनकी उपज की बिक्री में सहयोग और सस्ता कर्ज पाने में सुविधा मिलेगी।

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