बिहार का शहद देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक पसन्द किया जाता है। इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है । मधु के इस मांग को देखते हुए बिहार सरकार ने बिहार के तीन अन्य जिलों में इसका यूनिट लगाने जा रही है। बिहार से विदेश के उद्योगपतियों ने कम खर्च कर यहां के मधु ले जाकर विदेश में इसका प्रोडक्शन व मार्केटिंग कर अच्छा मुनाफा कमाते हैं। इस संभावना को देखते हुए बिहार सरकार ने बिहार में खुद ही इसका विपणन करने का योजना बना रही है।
पिछले कुछ वर्षों में शहद उत्पादन में बिहार कई मुकाम हासिल किए हैं। इससे पहले वर्ष 2010 से लेकर अभी तक कई गुना वृद्धि हुई है। इस वक़्त बिहार 18-20 हजार मीट्रिक टन शहद उत्पादन कर रहा है। दिल्ली, पंजाब, कोलकाता, मुंबई सहित अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी बिहार के शहद की मांग सबसे ज्यादा है।
बिहार सरकार दावा करती है कि बिहार का यह शहद अमेरिका व जापान के लोगों का पसंदीदा शहद है। वहां के लोगों में शहद की डिमांड काफी तेजी से बढ़ रहे हैं ।इसको देखते हुए सरकार ने मधु के जांच के लिए बिहार में ही लैब का निर्माण करने का सोच रही है। इससे पहले शहर के गुणवत्ता को जांचने के लिए दिल्ली, मुंबई,पंजाब,कोलकाता एवं अन्य शहरों में जाते थे। सरकार इस गुणवत्ता को जांचने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय में लैब बनाने का निर्णय कर सकती है।
सहकारिता विभाग के अधिकारी बताती है कि बिहार के बाहर के व्यापारी आकर सस्ते दामों पर शहद खरीदते हैं और ले जाकर उसकी मार्केटिंग करते हैं, अतः इसे देखते हुए सरकार हनी के मार्केटिंग एवं प्रोसेसिंग की योजना तैयार की है। बिहार में 2010-11 में 7355 मेट्रिक टन शहद का उत्पादन होता था। जबकि 2011-13 में यह बढ़कर 8018 मेट्रिक टन हो गया।
बिहार में वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और समस्तीपुर जिले में सबसे अधिक शहद उत्पादन किया जाता है। जीविका दीदी एवं हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के द्वारा सबसे अधिक प्रोडक्शन किया जाता है। बिहार में लीची, सरसों एवं सहजन द्वारा बनने वाले शहद की डिमांड काफी अधिक है। ये शहद ब्लॉक लेवल पर तैयार किये जा रहे हैं। शहद उत्पादकों की कोऑपरेटिव सोसायटी भी है। बिहार के 20 जिलों के 197 प्रखंडों में सोसाइटी का गठन हो चुका है।