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बिहार का यह एकलौता विश्वविद्यालय है जहां 31 देशों के छात्र कर रहे है पढ़ाई, 17 देशों के सहयोग से बना विश्वविद्यालय

बिहार को अक्सर शिक्षा के लिए किस राज्य राज्य माना जाता है। अक्सर देखा जाता है कि बिहार राज्य के विद्यार्थी दूसरे राज्य में जाकर अपने अपना अपना शिक्षा पूरा करते हैं। लेकिन आपको यह मालूम नहीं होगा कि बिहार में ऐसा विश्वविद्यालय है। जहां 17 देशों के विद्यार्थी अपने शिक्षा को ग्रहण करने के लिए आते हैं। यह विश्वविद्यालय कोई और ही नहीं नालंदा विश्वविद्यालय है इस विश्वविद्यालय में देश ही नहीं बल्कि विदेशों के छात्र अपने जीवन को साकार करने के लिए इस विश्व विद्यालय में नामांकन देते हैं। यह विश्वविद्यालय देश का इकलौता विश्वविद्यालय है जहां विदेशों से इतनी भारी संख्या में लोग यहां नामांकन लेते हैं।

विश्वविद्यालय का इतिहास काफी पुराना है। जहां बिहार के इस विश्वविद्यालय को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता था लेकिन आज वही विश्वविद्यालय को अब उसके धरोहर को वापस लाने का मुहिम जोड़ों पर है। आपको बता दें कि या विश्वविद्यालय फिर से राजगीर में बनकर तैयार है जो 475 एकड़ में यह विश्वविद्यालय फैला हुआ है। इस विश्वविद्यालय में वह सभी सुविधाएं मौजूद होगी। जो वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी के लिए उपलब्ध है विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह बताती है कि इस विश्वविद्यालय का कार्य 90% पूरा हो चुका है जल्दी ही इसका काम पूरा होने की उम्मीद है।

वहीं कुलपति बताते हैं कि बाकी बचे 10 प्रतिशत काम जल्द ही पूरा कर लिया जायेगा। कुलपति प्रोफ़ेसर सुनैना सिंह ने कहां कि यहां मिशन मोड़ पर काम चल रहा है, नालंदा विश्वविद्यालय में 4 साल में बहुत कुछ हुआ है। अभी कई चीजें बनना बाकी है, आपको बता दूं कि इस नालंदा विश्वविद्यालय में अगले वर्ष तक हॉस्टल बन जायेगा वही लाइब्रेरी 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसके साथ साथ इसी नालंदा विश्वविद्यालय के अंदर एक शहर भी बसाया जायेगा और लोगों को कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

बता दे कि नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण के लिए देश ही नहीं कई देश भी अपना योगदान दिया है, कुलपति सुनैना सिंह बताते हैं कि इस नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण में करीब 17 देशो ने अपना योगदान दिया है। इसके साथ वह यह भी बताते हैं कि यहां पर 80 प्रतिशत छात्र विदेश से इस नालंदा विश्वविद्यालय में पढाई करने आते है। आपको बता दूं कि इस विश्वविद्यालय में पढ़ाई 2014 से ही शुरू हो गई थी। जहां पर पहले सत्र में स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडी और स्कूल ऑफ एनवायरनमेंट स्टडी के लिए 13 छात्र का नामांकन हुआ था जिसमें भूटान जापान आदि देशों के छात्र शामिल थे।

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