राजनीतिक समीकरण
बांका विधानसभा सीट 1951 में अस्तित्व में आई. यहां पर हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के राघवेंद्र सिंह को जीत मिली थी. इसके अगले चुनाव में भी कांग्रेस के उम्मीदवार ने बाजी मारी. हालांकि इसके बाद के चुनाव में कांग्रेस को हार मिलती है. लेकिन 1963 के उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की. और 1967 के चुनाव में उसे एक बार फिर बांका की जनता नकार दिया. कांग्रेस को 1969 और 1972 के चुनाव में फिर जीत मिली. यहां पर शुरुआती दौर में कांग्रेस को तो जीत मिलती रही. लेकिन 1986 के बाद से उसे जनता ने नकार दिया और तब से कांग्रेस यहां पर जीत की आस लगाई है.
बांका जिले की कुल जनसंख्या2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की जनसंख्या 366489 है. बांका की 87.45 फीसदी आबादी ग्रामीण और 12.55 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. कुल जनसंख्या में से अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात क्रमशः 11.26 और 2.01 है. 2019 की मतदाता सूची के अनुसार, इस निर्वाचन क्षेत्र में 247052 मतदाता और 267 मतदान केंद्र हैं.
पांच बार से विधायक हैं राम नारायण मंडल
15 जुलाई, 1963 को जन्मे राम नारायण मंडल की शैक्षिणिक योग्यता साक्षर है. उन्होंने साल 1972 में राजनीति में एंट्री की. 1990 में पहली बार वह विधानसभा पहुंचे. वह 2000, 2005, 2014, 2015 के चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं. राम नारायण मंडल राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
साल 2015 का वोटिंग प्रतिशत
बांका में हुए 2015 के विधानसभा चुनाव में 235691 वोर्टर थे. इसमें से 52.91 फीसदी पुरुष और 47.08 फीसदी महिला वोटर्स थीं. बांका में 136746 लोगों ने वोट डाला था. 58 फीसदी वोटिंग इस सीट पर हुई थी. इस चुनाव में बीजेपी के राम नारायण मंडल ने आरजेडी के जफरूल को 3 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी. राम नारायण को 52379 (38.36 फीसदी) और जफरूल को 48649 (35.63 फीसदी) वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर बसपा के अजीत कुमार थे.