उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस प्रमुख को ‘‘कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति’ (Worsening Law and Order Situation) और उसमें सुधार के लिए उठाये गये कदमों के बारे में बताने के लिए 26 सितंबर को बुलाया है. राज्यपाल ने कहा कि डीजीपी (DGP) का यह कथन किसी को हजम नहीं होगा कि ‘‘पश्चिम बंगाल पुलिस (West Bengal Police) कानून द्वारा निर्धारित मार्ग का दृढता से अनुसरण करती है. किसी कानूनेतर मायने से किसी के साथ पक्षपात या भेदभाव (Partiality or discrimination) नहीं किया जाता है.’’ धनखड़ ने आरोप लगाया कि यह कुछ भी हो सकता है लेकिन सच्चाई नहीं है.
“पश्चिम बंगाल सरकार पुलिस की बैसाखी पर चल रही है”
विभिन्न मुद्दों को लेकर राज्य सरकार के साथ उलझ रहे राज्यपाल ने आरोप लगाया, ‘‘पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर पुलिस महानिदेशक के ‘परवाह नहीं करने, शुतुरमुर्ग की भांति आवरण डालकर अनजान बने रहने की प्रवृति से पीड़ा हुई है…राज्य आतंक, अपराध, के लिए पनाहगाह हो बन गया है और यहां बम बनाने का धंधा, भ्रष्टाचार और मानवाधिकार का उल्लंघन एवं सभी विरोधियों का उत्पीड़न हो रहा है.’’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया, ‘‘कानून के शासन के सभी विरोधी तत्व लगातार प्रचुर मात्रा में नजर आ रहे हैं.’’उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार ‘पुलिस की बैसाखी’ पर चल रही है और पुलिस ‘राजनीतिक झुकाव के चलते अपने वैध सरकारी दायित्व को त्याग रही है.
“मानवाधिकार की रक्षक होने के बजाय पुलिस ऐसे अधिकारों के लिए खतरा साबित हो रही”
धनखड ने कहा, ‘‘ऐसे हथियार डाल देना कानून के शासन की धमक खत्म हो जाती है और उच्चतम न्यायालय के फैसले की भावना का कोई अर्थ नहीं रह जाता कि वह कानून के अनुसार और स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं.’’
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उन्होंने आरोप लगाया कि मानवाधिकार का रक्षक होने के बजाय पुलिस ऐसे अधिकारों के लिए खतरा साबित हो रही है.