हिमाचल प्रदेश का लाहौल-स्पीति (Lahaul Spiti) जिला शीत मरुस्थल है. बर्फबारी के दौरान तो यह छह महीने तक दुनिया से कट जाता है. यहां बर्फ पिघलाकर पीने लायक पानी की व्यवस्था करनी पड़ती थी या फिर खच्चरों पर पानी लाना पड़ता था. भारत-तिब्बत सीमा (India-Tibet Border) से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित टशीगंग में नल से जल पहुंचने के बाद पानी के लिए कई किलोमीटर पैदल नहीं चलना पड़ेगा. पानी पहुंचने से सबसे बड़ी राहत गरीबों को मिली है, क्योंकि उन्हें मीलों दूर पैदल चलकर पानी लाना पड़ता था.
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एक साल के भीतर हर घर में पहुंचा नल का कनेक्शनविषम भौगोलिक स्थितियों के कारण लाहौल-स्पीति तक पाइप लाइन से पानी पहुंचाना आसान काम नहीं था, लेकिन जल जीवन मिशन के एक साल के भीतर यहां हर घर में नल कनेक्शन देना बड़ी उपलब्धि है. घर में नल में जल आता देख स्थानीय निवासी भावुक हो जाते हैं. उनके कष्टों का अंत हो गया है. 31,564 जनसंख्या वाले स्पीति ब्लॉक में 13 पंचायतें हैं. अब यहां हर घर में नल कनेक्शन है और पानी की आपूर्ति सुचारू हो चुकी है.
चिचम और टशीगंग जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में जल पहुंचना थोड़ा चुनौतीपूर्ण था, लेकिन ग्रामीणों के सहयोग से यह संभव हो सका. केंद्र सरकार का जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक हर ग्रामीण आवास तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है .