मदुरै में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शुक्रवार को दाखिल आरोपपत्र (chargesheet) में पुलिसकर्मियों पर साक्ष्य नष्ट करने (destroying evidence) का भी आरेाप लगाया गया है. पिता-पुत्र, थोटुकुडी जिले में मोबाइल फोन की दुकान (Mobile Phone Shop) चलाते थे. उन्हें इसलिये गिरफ्तार किया गया था कि उन्होंने निर्धारित समय का उल्लंघन (Violation) करते हुए अपनी दुकान खुली रखी थी. इस नृशंस अपराध (brutal crime) के चलते व्यापक स्तर पर रोष प्रकट किया गया, जिसके चलते मुख्यमंत्री को मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश करनी पड़ी थी. सीबीआई (CBI) ने अपने आरोपपत्र में तत्कालीन पुलिस निरीक्षक (Police Inspector) एवं थाना प्रभारी एस श्रीधर सहित नौ पुलिसकर्मियों को नामजद किया है.
जांच के दौरान सीबीआई के नौ अधिकारी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गये
सूत्रों ने बताया कि आरोपियों की हिरासत 30 सितंबर को समाप्त होने जा रही है, इसलिए इससे पहले सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किया है. इस घटना के पीछे के मकसद के बारे में पूछे जाने पर अधिकारियों ने बताया कि जांच जारी है. जांच के दौरान सीबीआई के नौ अधिकारी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गये जबकि एक आरोपी उप निरीक्षक की मौत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि शेष सभी आरोपी पुलिसकर्मी न्यायिक हिरासत में हैं.सीबीआई प्रवक्ता आर के गौड़ ने कहा, ‘‘सीबीआई की एक टीम मदुरै में डेरा डाले हुए है और कोविड-19 की बाधाओं के बावजूद मामले पर काम कर रही है.’’ उन्होंने बताया कि सीबीआई जांच में यह खुलासा हुआ कि पिता-पुत्र को 19 जून की शाम गिरफ्तार किया गया और उन्हें पुलिस थाने में कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया, जिस कारण दोनों की चोट के चलते मौत हो गई.
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इस बीच, घटना की जांच कर रहे न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मद्रास उच्च न्यायालय से कहा कि पुलिसकर्मियों ने पिता-पुत्र को पूरी रात थाने में पीटा. ‘‘उन्हें कथित तौर पर पीटने के लिये लाठी का इस्तेमाल किया गया और एक मेज पर लगे खून के धब्बे इसकी गवाही देते हैं.’’