भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर पुरे देशभर में उन्हें याद किया जा रहा है. रांची के “कल्पतरु मित्र” ने डॉ० श्यामा प्रसाद मुख़र्जी विश्वविद्यालय में पौधरोपण किया और कुलपति महोदय समेत विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं की ओर से श्रधांजलि अर्पित की गई.
बता दें, रांची के निखिल प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहे हैं. इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. लेकिन उनका सबसे ज्यादा रुझान कल्पतरु वृक्ष पर रहता है. क्योंकि, रांची में कल्पतरु के मात्र 3 वृक्ष थे और अब उनके पहल ने 100 से ज्यादा पौधे तैयार कर लिए हैं. केवल इतना ही नहीं कई पौधे तो सार्वजनिक स्थानों पर भी लगाये हैं. लोग उनकी इस मेहनत का सराहना कर रहे हैं.
मौके पर कल्पतरु मित्र निखिल मेहुल ने कहा, श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म आज ही के दिन 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे. बीए और लॉ की उपाधि अर्जित करने के बाद वे इंग्लैंड चले गए थे, जिसके बाद वे वहां से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे.
डॉ मुखर्जी 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने. इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे. वे मानवता के उपासक व सिद्धांतवादी नेता भी थे. उन्होंने भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में बुलंदियों को छुआ. वे एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता के रूप में प्रेरणास्त्रोत माने जाते हैं.