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ट्रेन के दुर्घटनाओं से बचाएगा स्वदेशी कवच, जानिए कैसे काम करता है यह तकनीक

भारतीय रेल को देश का लाइफ लाइन कहां जाता है। देश का बड़ा हिस्सा प्रतिदिन रेलवे में सफर करते हैं। ऐसे में रेलवे मंत्रालय ने इसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निरंतर रूप से नए-नए तकनीकी का इस्तेमाल भी करते रहते हैं। तो वहीं शुक्रवार को पूर्व मध्य रेलवे द्वारा नई ट्रेनों को संरक्षित परिचालन करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से प्रधानखानता तक कवच प्रणाली के स्थापना के दिशा में अपना पहला कदम रखा।

आपको बता दें कि सुरक्षा प्रणाली कवच का परीक्षण करने के दौरान 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से एक ट्रेन और एक इंजन को एक ही पटरी पर चलाया गया। जैसे एक ही पटरी पर दो ट्रेन आ रही हों। ट्रेन में केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे और दूसरे इंजन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन। एक ही पटरी पर आमने सामने आ रहे ट्रेन और इंजन ‘कवच’ टेक्नोलॉजी के कारण टकराए नहीं और परीक्षण सफल रहा। कवच ने रेल मंत्री की ट्रेन को सामने आ रहे इंजन से 380 मीटर दूर ही रोक दिया।

क्या है स्वेदशी कवच?

कवच को रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ‘शून्य दुर्घटना’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया। एटीपी को कवच नाम दिया गया है। कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को ऑटोमेटिक रूप से रोक देगी, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी। इस डिजिटल प्रणाली के कारण मानवी त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन अपने आप रुक जाएगी।

इस तरह दुर्घटनाओं से बचाएगा कवच

‘कवच’प्रणाली में हाई फ्रीक्वेंसी के रेडियो कम्युनिकेशन का उपयोग किया जाता है। अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल-4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है, जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है। एक बार इस प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जाएंगी। कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अप्रूव किया गया है। परीक्षण के दौरान देखा गया कि कवच टेक्नोलॉजी तीन स्थितियों-‘आमने-सामने की टक्कर, पीछे से टक्कर और खतरे का संकेत मिलने पर’ में कैसे काम करती है।

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