झारखंड की राजधानी रांची में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। यहां जी का जंजाल बना कांटाटोली फ्लाईओवर बनने का रास्ता का रास्ता अब साफ हो गया है। गुजरात की कंपनी डीआरए इंफ्रास्ट्रक्चर और जुडको के बीच समझौता हो गया है। जुडको का कहना है कि कंपनी के द्वारा नामकुम इलाके में जमीन को चिन्हित कर लिया गया है।
जुडको ने कंपनी को डीपीआर तैयार करने के लिए कहा था। डीपीआर तैयार कर लिया गया है। जल्द ही नामकुम में प्लांट बनने का काम शुरू कर दिया जाएगा। जुडको के अनुसार एक माह के अंदर कांटाटोली फ्लाईओवर का काम शुरू हो जाएगा। कंपनी दो साल में फ्लाईओवर बनाने का काम पूरा कर लेगी। जुडको ने दो साल का टारगेट दिया है। कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण कोकर स्थित शांतिनगर से योगदा सत्संग तक होना है। 224 करोड़ रुपये की लागत से फ्लाईओवर का निर्माण होना है। कांटाटोली फ्लाईओवर की लंबाई 224 मीटर है।
कंपनी ने प्लांट के लिए नामकुम में ली जमीन
कंपनी का प्लांट नामकुम इलाके में लगेगा। नामकुम इलाके में प्लांट खोलने की सबसे बड़ी वजह यह है कि फ्लाईओवर का निर्माण सेगमेंटल बॉक्स गरडर सिस्टम से करना है। इस सिस्टम से फ्लाईओवर का निर्माण होने पर मटेरियल कहीं और तैयार किया जाएगा फिर वहां से मटेरियल कांटाटोली लाया जाएगा। कंपनी का मानना है कि कांटाटोली से उसी इलाके में प्लांट बनेगा जहां से रास्ता सीधा हो। कंपनी रास्ता सीधा इसलिए चाहती थी कि ताकि बड़े बड़े वाहनों में मटेरियल भरकर आसानी से कांटाटोली लाया जा सके। इस वजह से नामकुम इलाके में कंपनी ने जगह को चिन्हित किया है।
लोगों को मिलेगी जाम से निजात
कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण होने के बाद लोगों को जाम से निजात मिलेगी। मेन रोड में वाहनों का दबाव कम होगा। फ्लाईओवर का इस्तेमाल कर लोग मेन रोड में बिना प्रवेश किए शहर से बाहर निकल सकेंगे। कडरू फ्लाईओवर पर भी बोझ कम पड़ेगा।
40 करोड़ से बढ़कर लागत हुआ 224 करोड़
कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण का काम 40 करोड़ रुपये से शुरूआत हुई थी। चार बार में यह बढ़कर 224 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। वर्ष 2016 में फ्लाईओवर का निर्माण होने का प्रस्ताव आया था। पांच साल से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद भी काम में तेजी नहीं आई। काम की शुरूआत होने के बाद इसे बंद कर दिया गया। इससे लोगों को कई माह से परेशानी हो रही है। कांटाटोली से गुजरने वाले लोगों को प्रतिदिन जाम की चपेट में आना पड़ता है।
Note : तस्वीर काल्पनिक है।