झारखंड में स्थानीय नीति का मुद्दा को लेकर सरगर्मी थी. राज्यभर में तरह-तरह के प्रदर्शन किये जा रहे थे. बता दें, कई सरकारें आई लेकिन इस नीति को लेकर किसी तरह का चर्चा नहीं हुआ. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने बीते बुधवार के दिन यानी 14 सितंबर को मंत्रिमंडल की बैठक में 1932 खतियान का प्रस्ताव पास कर दिया है. इसके तहत झारखंड में 1932 या इसके पूर्व के सर्वे के आधार पर रह रहे लोगों को स्थानीय माना जाएगा. साथ ही जो भूमिहीन होंगे या जिनके पास खतियान नहीं होगा उनको ग्राम सभा से पहचान कर स्थानीय का दर्जा दिया जाएगा. बता दें, ग्राम सभा यहां के निवासियों के रहन-सहन, भाषा के आधार पर उसे स्थानीयता का मुहर दे सकती है.
ऐसे में कई तरह के लोग विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं तो कोई तारीफ भी कर रहे हैं. बता दें, झारखंड स्थानीय नीति को लेकर आजसू पार्टी ने हेमंत सोरेन सरकार द्वारा स्थानीयता एवं आरक्षण के संदर्भ में की गई पहल का स्वागत किया है. रविवार को पहली बार 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति परिभाषित करने के राज्य सरकार के निर्णय पर अधिकृत रूप से पार्टी की ओर से वक्तव्य देते हुए पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता डा. देवशरण भगत, केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी व केंद्रीय महासचिव राजेंद्र मेहता ने कहा कि झारखंडी हित एवं राज्य के विकास के लिए सरकार कोई भी निर्णय लेगी तो आजसू पार्टी उसका अभिनंदन करेगी.
साथ ही साथ इन विषयों के व्यावहारिक पक्ष पर भी पार्टी चर्चा जरूर करेगी. यदि सरकार के किसी निर्णय से झारखंड की जनता का अहित होगा तो आजसू पार्टी इसके खिलाफ मुखर होकर आंदोलन करेगी. पार्टी नेताओं ने कहा कि ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है, लेकिन जातीय जनगणना कराने को लेकर झारखंड सरकार ने अभी तक कोई वक्तव्य नहीं दिया. आजसू पार्टी हेमंत सोरेन सरकार से यह मांग करती है कि राज्य में जातीय जनगणना सुनिश्चित कराए.
डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्थानीयता का निर्धारण ही नियोजन का आधार बने. साथ ही साथ सरकार यह भी स्पष्ट करे कि जिन पदों पर नियुक्ति के लिए नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है उसका आधार खतियान आधारित स्थानीय नीति होगा या मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र. वहीं, हसन अंसारी ने कहा कि नियुक्तियों में किसी प्रकार की बाधा न आए तथा तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां शत-प्रतिशत स्थानीय व्यक्तियों को ही मिले. राजेंद्र मेहता ने कहा कि खतियान आधारित स्थानीय नीति एवं आरक्षण आजसू का मुख्य मुद्दा रहा है और इसे लेकर हम संघर्ष करते रहे हैं.