झारखंड के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है. बता दें, 12 वर्षों के बाद विवि शिक्षकों का प्रोन्नति परिनियम लागू किया जायेगा. दरअसल, राज्य के मुख्यमंत्री सह उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के मंत्री हेमंत सोरेन ने यूजीसी रेगुलेशन 2010 के प्रस्ताव की मंजूरी को पास कर दी. परंतु अब तक केंद्र सरकार की ओर से स्वीकृति नहीं मिली है.
इसके बाद अंतिम स्वीकृति राज्यपाल सह कुलाधिपति द्वारा दी जायेगी. राज्यपाल रमेश बैस भी विभाग को यूजीसी रेगुलेशन 2010 शीघ्र लागू कराने का कई बार निर्देश दे चुके हैं. मामले में झारखंड हाइकोर्ट द्वारा अवमानना वाद भी चला है.
रेगुलेशन 2018 लागू है, पर रेगुलेशन 2010 नहीं : झारखंड में छह अगस्त 2021 की तिथि को यूजीसी रेगुलेशन-2018 लागू किया गया. इससे संशोधित प्रस्ताव को भी हाल ही में कैबिनेट से स्वीकृति भी मिली है. लेकिन राज्य में यूजीसी रेगुलेशन-2010 पिछले 12 साल से लागू नहीं हो सका है. इससे झारखंड में एक जनवरी 2009 के बाद से अब तक हजारों शिक्षकों की प्रोन्नति फंसी हुई है.
उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग विवि सिंडिकेट/सीनेट से रेगुलेशन प्रस्ताव की स्वीकृति भी ले चुका है. इसके बाद उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर इसे कार्मिक व वित्त विभाग के पास भेजा, जहां आंशिक त्रुटि में संशोधन करने के बाद स्वीकृति दी गयी.
परिनियम नहीं रहने से फंसी है प्रोन्नति :
जानकारी के अनुसार, झारखंड में 22.9.1995 तक कालबद्ध प्रोन्नति योजना लागू थी. जिसका कट ऑफ डेट 23.9.1995 तक रहा. इसके बाद 1995 से 27.7.1998 तक एक भी प्रोन्नति परिनियम नहीं बना. जिससे 1981-82 में नियुक्त हुए शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिल सकी और वे सेवानिवृत्त भी हो गये.
कालांतर में राज्य सरकार ने 27.7.1998 के प्रभाव से जुलाई 2008 में करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रोन्नति परिनियम लागू किया और उसे 31 दिसंबर 2008 में समाप्त भी कर दिया. इसके बाद परिनियम नहीं रहने से शिक्षकों की प्रोन्नति फंसी हुई है. कई शिक्षक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से ही सेवानिवृत्त हो गये.