आदिवासियों का जाति प्रमाण पत्र अब एक ही बार बनेगा और आजीवन वैध रहेगा. वहीं जनगणना में सरना धर्म कोड ( sarna religion code ) का कॉलम रखने का प्रस्ताव राज्य सरकार राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजेगी. इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री के नेतृत्व में टीएसी के सदस्य प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे. सोमवार को झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की बैठक में यह फैसला लिया गया.
टीएसी राज्य के जनजातीय समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण इकाई है।
आज टीएसी की बैठक में सरना आदिवासी धर्म कोड, जनजातीय समुदाय के लोगों के बीच उद्यमिता बढ़ाने, ऋण लेने में हो रही परेशानी, जाति प्रमाण पत्र, मानव तस्करी, आदि से जुड़े विषयों पर चर्चा हुई। pic.twitter.com/lf9xg4p00S— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 27, 2021
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में 11 एजेंडा पर चर्चा की गयी. बैठक में एसटी समुदाय के लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनाने में हो रही दिक्कतों को देखते हुए जीवन में एक बार जाति प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने का निर्णय लिया गया. बैठक में स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता में उपसमिति बनी है. उपसमिति में चमरा लिंडा, दीपक बिरुवा, बंधु तिर्की व भूषण तिर्की भी रहेंगे.
यह उपसमिति अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को कृषि, गृह तथा शिक्षा ऋण सहित अन्य ऋण बैंकों से उपलब्ध कराने, बैंकों से विचार-विमर्श कर ऋण उपलब्ध कराने के लिए नियमों में सुधार तथा राज्य में अनुसूचित जनजाति धारित पूर्व एवं वर्तमान भूमि अधिग्रहण का अध्ययन कर टीएसी को रिपोर्ट सौपेंगी तथा इस संबंध में उप समिति टीएसी को परामर्श भी देगी.
सरना-मसना स्थल को दी जायेगी मान्यता
झारखंड राज्य गठन के समय राज्य में जो सरना, मसना, कब्रिस्तान आदि अवस्थित थे, यदि उनके अभिलेख उक्त रूप में न भी हों तो ग्राम सभा और अंचल कार्यालय से उसकी संपुष्टि कराते हुए उसकी घेराबंदी करायी जायेगी.
जेल में बंद आदिवासियों के केस की समीक्षा होगी
जेल में बंद आदिवासियों के मुद्दे पर गृह विभाग से जेल में बंद तमाम आदिवासियों की सूची मांगने पर सहमति बनी.
इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा
झारखंड के शहीदों व झारखंड अांदोलनकारियों के शहीदों के आश्रितों को नौकरी देने पर बनी सहमति
बैठक में जनजातीय समुदाय के लोगों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तर पूर्व के अनुसार करों में छूट व सुविधा देने की अनुशंसा की.
जनजातीय समाज के लोगों को बैंकों से ऋण देने में वित्तीय संस्थान मना नहीं करें. वित्त विभाग सभी बैंकों से इस संबंध में विस्तृत चर्चा कर सुधार लाने की कार्रवाई करेगा
जनजातियों की भूमि के अवैध हस्तांतरण पर रोक लगनी चाहिए, विस्थापन पर एक पुनर्स्थापन आयोग बनाने की बात कही गयी