कोरोना संक्रमण के बाद लोगों के खानपान में वृहद स्तर पर बदलाव देखने को मिला है। शुद्ध खानपान के लिए रांची में लोग किचेन गार्डेनिंग को अपना रहे हैं। लोगों की इस भावना को देखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने लोगों को घर पर मशरूम की खेती के लिए बीज उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इसके साथ ही विवि के विज्ञानी और तकनीशियन इसे उपजाने की तकनीक के बारे में भी जानकारी देंगे। इसके साथ ही अगर कोई व्यावसायिक स्तर पर मशरूम की खेती करना चाहे तो उसकी भी मदद की जाएगी।
इच्छुक लोग कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन कार्यरत पौधा रोग विभाग द्वारा संचालित मशरूम उत्पादन इकाई में मशरूम स्पांन (बीज) ले सकते हैं। मशरूम खेती इकाई प्रभारी डाॅ. नरेंद्र कुदादा ने बताया कि मशरूम की खेती साधारण हवादार कमरा, ग्रीन हाउस, गैरेज, बंद बरामदा, पॉलीथिन के घर या छप्परों या कच्चे घरों में की जा सकती है। मशरूम उत्पादन के लिए अनाज (गेहूँ, धान एवं मकई आदि) के दानों से बने उच्च गुणों वाले प्रमाणित बीज (स्पांन) का ही व्यवहार करना चाहिए।
केंद्र द्वारा सालों भर विभिन्न प्रजातियों के मशरूम के क्वालिटी युक्त स्पांन (बीज) का उत्पादन किया जाता है। इसकी पूरे प्रदेश में काफी मांग है। डाॅ. नरेंद्र कुदादा ने बताया कि इस समय केंद्र में समशीतोष्ण कालीन वायस्टर (ढिंगरी) या प्लूरोट्स मशरूम तथा ग्रीष्मकालीन सफेद दूधिया मशरूम का स्पांन (बीज) उपलब्ध है। इसे विवि परिसर स्थित इकाई से निर्धारित मूल्य रुपये 30 प्रति 300 ग्राम की दर से प्राप्त किया जा सकता है। कृत्रिम मशरूम के लिए घर में किसी भी प्रजाति के मशरूम की खेती किसी भी समय की जा सकती है।
झारखंड के किसानों एवं उत्पादकों के लिए सामान्य कमरे के तापक्रम पर ढिंगरी (प्लूरोट्स) की खेती वर्ष के अधिकांश समय (9-10 माह) में की जा सकती है। वायस्टर (ढिंगरी) या प्लूरोट्स मशरूम की खेती के लिए जुलाई से फरवरी का महीना उपयुक्त होता है। इसे 20-25 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम में उगाया जाता है। इसकी खेती के लिए सामग्रियों में धान के पुआल की कुट्टी (आकार 1-1.5 इंच) या गेहूं का भूसा, स्पांन (बीज), पॉलीथिन की थैली (बैग) (आकार 60 X 40 से. मी.), फफूंदनाशी एवं फार्मलिन की आवश्यकता होती है।
प्रति किलोग्राम सूखे पुआल/भूसे से लगभग 0.8-1 किलोग्राम ताजा मशरूम का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। सफेद दूधिया मशरूम (दूध छत्ता) की खेती अप्रैल से सितंबर महीने तक की जा सकती है। इसे धान के पुआल की कुट्टी पर उगाया जा सकता है। इसकी खेती में 18-20 दिनों तक 25-35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तथा 80-85 प्रतिशत नमी बनाए रखनी होती है। 25-30 दिनों में मशरूम की उपज मिल जाती है।